Friday, July 10, 2015

आदाब अर्ज़ है

कोई पैगाम न दुआ कोई
किस क़दर हमसे है खफा कोई
उसने रखा मेरी वफ़ा का हिसाब
इस क़दर हो न बेवफा कोई
मैंने उम्मीद को खुदा जाना
है मेरे सब्र की सजा कोई .


चुपके से सेहर आये तो लगता है के तुम हो
उम्मीद जो बढ़ आये तो लगता है के तुम हो
जब दिल की कोई बात बताने से भी पहले
आँखों में उतर आये तो लगता है के तुम हो
खामोश सुरों में कोई नाघ्मा सा समोए
शबनम जो बिखर जाये तो लगता है के तुम हो
जब शाम ढले कोई कसक ,दिल को दुखाकर
चुपचाप उभर आये तो लगता है के तुम हो


हर लम्हा तेरी याद की खुशबू है मेरे पास
इस शहर में तनहा हूँ मगर तू है मेरे पास

जिस शक्ल को चाहूं तेरी सूरत में बदल दूँ
ये हुस्न ऐ तसव्वुर है के जादू है मेरे पास

रखता है सदा जो मेरे रातों को मुअत्तर
वो तेरे बदन का गुल इ खुशबू है मेरे पास

क्यूँ थामुंगा ऐ जाना किसी और की बाहें
पहने हुए कंगन तेरे बाजू के हैं मेरे पास

जब चहुँ वैसी उस के नगर तक मुझे ले जाये
यादों का चमकता हुआ जुगनू है मेरे पास...


मिजाज़ उसका अभी समझा नहीं है,
वो बादल है मगर बरसा नहीं है
शिकायत कर रही थी उसकी ऑंखें,
कई रातों से वो सोया नहीं है
बस एक उलझा हुआ किस्सा ही समझो,
किसी सूरत से वो खुलता नहीं है
क़तील उस शख्स की तारीफ क्या हो,
वो सब कुछ है मगर मेरा नहीं है


जो बरसो से भुलाया जा रहा है
,वही क्यूँ याद आया जा रहा है

जो दिल था कुछ हंसी ख्वाबों की नगरी
वो दिल सेहरा बनाया जा रहा है

जुदा रहना मेरी तकदीर लिख दी
वफ़ा को अजमाया जा रहा है

हजारो लोग हैं हर रस्ते पर
मगर हर शख्स तनहा जा रहा है

जो बरसो से भुलाया जा रहा है...


आइये कुछ आपसे शिकवा करें
अपने दामन को ज़रा रुसवा करें
कांपते सपने,ये बारिश ,ये हवा
इन चरागों को बताएं क्या करें
शाम आयी तो सुबह होगी ज़रूर,
आप अक्सर इस तरह सोचा करें
बंद घर में चन्द दरवाजें भी हैं
कब तलक हालात से पर्दा करें
ग़ुम निगाओं में न हो तनहाइयाँ
आईने में खुद को भी देखा करें .


karun na yaad magar kis tarah bhulaoon use
ghazal bahana karun or gunguaun use

wo khar khar hai,shakh-e gulaab ke manind
main zakhm zakhm hun fir bhi gale lagaun use

ye log taskiren karte hain apne logon ke
main kaise baat karun or kahan se laun use

jo humsafar sar -e manzar bichhad raha hai faraz
ajab nahi ki agar yaad bhi na aaoon use



shaam-e-alam jab dard-e-judai zabt ki had se guzra hoga
tab kahin ankhen chhalki hongi, tab koi tara toota hoga

mere ansoo maile maile, apka daman ujla ujla
mere ansoo aap na pochhen, apka daman maila hoga

jab tak hai sayyad ke bas mein ,rasm-e-gul kya,daur-e-fiza kya
jashn-e-bahara hum bhi karenge jis din gulshan hamara hoga

tumko shakeb is baat ka kya gham ,phool hanse ya roye shabnam
is duniya ki reet yahi hai,aisa hua aisa hoga...


सफ़र में हूँ एक सफ़र मुझ में भी है
मैं शहर में घूमता हूँ ,एक शहर मुझ में भी है

मेरे टूटे घर को हंसकर मत देख मेरे रकीब
मैं अभी टूटा नहीं हूँ ,एक घर मुझ में भी है

खूब वाकिफ हूँ मैं दुनिया की हकीकत से मगर
शख्स कोई हर तरफ से बेखबर मुझ में भी है

आदमी में बढ़ रहा है दिनों दिन कैसा ज़हर
देखता मैं भी हूँ ,कुछ ज़हर मुझ में भी है

वक़्त के अस्र्रत से कोई अछोता है नहीं
कैसे मैं इनकार कर दूं ,कुछ असर मुझ में भी है

बेधड़क बेख़ौफ़ चलता हूँ बियाबान में ,मगर
आईने से सामना होने का दर मुझ में भी है .


उसने जब मुझसे के एहदे वफ़ा अहिस्ता
दिल के वीराने में एक फूल खिला अहिस्ता

मैंने मन तू मसीहा है ,शिफकाती है
मेरे ज़ख्मो को हाथ लगा अहिस्ता

आज की शब् मैं परेशां हूँ,बहुत तनहा हूँ
ऐ सबा उसकी कोई बात सुना अहिस्ता

दिल तीरगी है मेरी किस्मत तो बुझा दे ऑंखें
छोड़ना है तो मुझे छोड़ के जा अहिस्ता ...


आँखों से लगा लेने के काबिल न समझना
मैं कांच का टुकड़ा हूँ ,मुझे दिल न समझना

एक दिन के लिए भी अगर मैं तुझको भुला दूं
उस दिन को मेरी उम्र में शामिल न करना

साहिल का भरोसा नहीं किस वक़्त बदल जाये
जिस नाव में बैठो उसे मंजिल न समझना ...


TUJHSE TO KOI GILA NAHI HAI,
KISMAT MEIN MERI SILA NAHI HAI.

BICHDE TO NA JANE HAAL KYA HO,
JO SHQKS AABHI MILA NAHI HAI.

JINE KI DO "AARZU" HI KAM THI,
MARNE KA BHI HOSLA NAHI HAI.

VO ZIST{ZINDGI} KO MUTBAR BNA DE,
AAISA KOI BHI SILSILA NAHI HAI.

KHUSBOO KA HISAAB HO CHUKA HAI,
AUR PHOOL AABHI KHILA NAHI HAI.

EK THES PE DIL KA PHOOT BEHNA,
CHUNE MEIN TO AABLA{CHAALA} NAHI HAI.

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